जिंक की कमी से धान पर पड़ने वाले प्रभाव को ऐसे करें कंट्रोल!

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जिंक सल्फेट या अन्य जिंक आधारित उर्वरक का सही मात्रा में इस्तेमाल करें।

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मृदा में जिंक की मात्रा की जांच करें और उसी के अनुसार उर्वरक का उपयोग करें।

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धान के बीजों का जिंक सल्फेट से उपचार करने से जिंक की कमी को शुरुआती चरण में रोका जा सकता है।

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जिंक की कमी होने पर जिंक सल्फेट का फोलियर स्प्रे (पत्तों पर छिड़काव) करें।

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गोबर की खाद, कम्पोस्ट आदि जैविक खाद का उपयोग मृदा की गुणवत्ता सुधारने में सहायक हो सकता है।

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खेत में जल भराव को रोकें, क्योंकि अत्यधिक पानी भी जिंक की कमी को बढ़ावा देता है।

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धान के साथ अन्य फसलों को उगाने से मृदा में पोषक तत्वों का संतुलन बना रहता है।

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जड़ प्रणाली को मजबूत रखने से पौधों की पोषक तत्व ग्रहण करने की क्षमता बढ़ती है।

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नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश के साथ-साथ जिंक का संतुलित प्रयोग करें।

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मृदा में सूक्ष्म जीवाणुओं की वृद्धि के लिए जैव उर्वरक या मृदा संवर्धक एजेंट का प्रयोग करें, ताकि जिंक की उपलब्धता बेहतर हो सके।

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